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मेवात गुडगाँव से 40 किलो मीटर की दुरी पर एक जिला है | यहाँ पर ज्यादा तर लोग खेती बड़ी पर निर्भर है क्यूँ के मेवात एक ग्रामीण जिला है | यह नेशनल हाई वे से जुदा हुआ है तो बहुत सारे लोग का पेशा द्रिवेरी का भी है | मेवात जिले में कुल 5 ब्लाक है | जिस में से एक ब्लाक फिरोजपुर झिरका है | फिरोजपुर झिरका मेवात का आखरी ब्लाक है जो राजिस्थान के अलवर जिले से लगा हुआ है और यह अरावली पहाड़ से भी घिरा हुआ है |

स्वतालीम फाउंडेशन देल्ली की एक registered संस्था है जो पिछले 3 साल से हरयाणा के मेवात जिले में काम करती आ रही है |पैरेंटल एगागेमेंट स्वतालीम फाउंडेशन का प्रोग्राम है जिस का मकसद यह है के माँ बाप अपने बच्चो की पढाई और उनके ग्रोथ से अवगत रहे | यह प्रोग्राम स्वतालीम संस्था ने पिछले साल अक्टूबर में शुरू किया था जब स्कूल लॉक डाउन के कारण बंद हो गए थे | तभी हम ने बच्चो के माता पिता से बात चित की और उनसे यह जानने की कोशिश की के बच्चे घर पर कैसे है किस तरह की दिक्कत आ रही है |IVRS के माध्यम से बच्चो को जो कहानिया भेजी जा रही है क्या वह तक पहुच पा रही है या नहीं | उशी दौरान हम ने इमराना के पिता से बात की |

 

 कस्तूरबा गाँधी फिरोजपुर झिरका में जो बच्ची पढने के लिए आती है वह वहाँ के आस पास के गाँव से आती है | उन में से एक बच्ची है इमराना जो आठवी की छात्रा है | इमराना के 3 भाई है और 1 बहन है | इमराना के पिता मोहम्मद रफीक स्वतालीम संस्था के साथ पिछले 1 साल से जुड़े हुए है | उनके पिता एक किसान है और वह खेती बड़ी से ही अपना गुज़र बसर करते है | इमराना के पिता ने इमराना के साथ कई सत्र का हिस्सा बने है | जब हमारी उन से बात चित हुई तो उन्हों ने बताया के ‘’ आपके अलावा हमे किसी की कॉल नही आई । स्वतालीम संस्था की कई बार कॉल आती है की आपके बच्चो के पास ऑनलाइन काम आ रहा है या नही और बच्चे उस काम को करते हे किया ।मैने अभी तक कई सत्र अटेंड किए हे और स्वातलीम फाउंडेशन से कई बार संपर्क भी किया गया है। हमारे मन में जो भी सवाल आते हैं  उसको पूछ ते है । हमे जो भी कुछ पूछना होता है बेझिझक पूछते है । उसके बाद जो भी जवाब मिलता है हैं उससे सहमत हो जाते हैं। स्वतालीम संस्था से हमे पढ़ाई से सबंधित जानकारी मिलती हैं । जूम पर जुड़ने के लिए कॉल आती है या बताने के लिए की के बच्चो का सेशन है और आप जुड़ जाना । हमें यह भी पता है के  हफ्ते में दो दिन शाम के समय में बच्चो के पास कहानी वाली कॉल आती हैं और हफ्ते को एक दिन बच्चों का सेशन होता है जूम ऐप पर जहा बच्चिया सेशन के लिए जुडती है | ज़ूम पर बच्चो के जो सेशन होते है कई बार हमने भी कई सेशन अटेंड किए हैं । हमे बहुत अच्छा लगा था और बहुत कुछ सिखने को मिला | हमे हमारी बेटी ने बताया के एक सत्र में हमें खुद के बारे भी सोचने का मोका मिला के हम क्या करना चाहते है क्या बनना चाहते है | इन कहानियों को सुनकर और जूम पर जुड़ने से  बच्चो को बहुत मजा आता है और वो दुसरे सत्र में जुड़ने के लिए उत्साहित रहते हैं।उनके अंदर की हीन भावना खत्म हो जाती है |

लोकडाउन की वजह से बच्चे घर पर रह रह कर बोर हो जाते हे और सभी बच्चो के पास मोबाइल भी उपलब्द नहीं है | सभी बच्चो के माता पिता घर पर नहीं होते । कुछ तो सुबह जाते हैं और शाम को घर वापिस आते हैं मजदूरी करके । कुछ के पास तो बड़ा फोन ही नहीं है लेकिन है जैसे तैसे करके अपना काम आगे पीछे करके बच्चो को फोन उपलब्ध करवाते हैं ताकि कुछ सीख सके।

स्वतालीम के यह दोनों तरीके काफी अच्छे है बच्चो को इनकी पढाई से जोड़ के रखने का | हमारी यह आशा है के इसको आगे भी जारी रखना चाहिए।’’

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