मस्ती की पाठशाला : दिव्या की जुबानी

(दिव्या, कक्षा 10, कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय – नूंह, हरियाणा)

हरियाणा स्कूल शिक्षा परियोजना परिषद् और  स्वतालीम फाऊंडेशन के साझा प्रयास ‘सहेली की उड़ान’  के अंतर्गत पिछले 3 सालो से हरियाणा के मेवात जिले में 5 कस्तूरबा गाँधी बालिका विद्यालयों के साथ काम चल रहा है| कोविड के कारण जब से स्कूल बंद हुए है तब से लेकर अब तक ज्यादातर काम डिजिटल प्लेटफार्म के माध्यम से हो रहा है |लॉक डाउन के बाद से बच्चो की पढाई पर खास फर्क पड़ा है | बहुत सारी दिक्कते बच्चो के सामने निकल कर आई है| स्कूल बंद होने के बाद शिक्षा का माध्यम ऑनलाइन हो गया | इसके कारण बच्चो को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा| इस दौरान बच्चो के माता पिता से बातचीत की गयी| उनसे बात करके पता चला कि बहुत सारे बच्चे ऑनलाइन पढाई से जुड़ नहीं पा रहे है और इस के अलग अलग कारण है , जैसे के कई घरो में मोबाइल फ़ोन की समस्या है , कई बच्चो के पास जानकारी नहीं है कि कैसे ग्रुप्स में जुड़े, कहीं कहीं मोबाइल फ़ोन मौजूद नहीं हैं और कुछ जुड़ना चाहते है पर समय की समस्या है | 

मस्ती की पाठशाला का एक बड़ा मकसद यह हैं की जो बच्चे इस समय फ़ोन के माध्यम से जुड़ सकते है वह बच्चे डिजिटल प्लेटफार्म के माध्यम से जुड़े और एक दूसरे से मिल पाए और अपनी बातो को अपने सोच को एक जगह रख पाए | अब तक मस्ती की पाठशाला के 29 सत्र अलग-अलग विषयों पर हुए है|हमारे अब तक के सत्र में काफी बच्चे जुड़े और उन्ही में से एक बच्ची दिव्या है | 

दिव्या कस्तूरबा गाँधी बालिका विद्यालय नगीना की दसवी क्लास की छात्रा है | दिव्या स्वतालीम फाउंडेशन से पिछले 10 महीनो से मस्ती की पाठशाला सत्र के द्वारा जुड़ी हुई है| दिव्या अब तक मस्ती की पाठशाला के 18 से ज्यादा सत्रो का हिस्सा बनी है |दिव्या के घर में पांच फोन है| मोबाइल फ़ोन दिव्या के दो भाइयो के पास है , एक भाभी के पास है , एक बहन के पास है और एक पापा के पास हैं। दिव्या अपने बहन के फोन के जरिए सत्र में जोड़ती हैं।दिव्या की बड़ी बहन JNV में बाहरवी की छात्रा है| वो भी सुबह से ऑनलाइन पढाई करती है तो वह 12 बजे के बाद दिव्या को मोबाइल देती है और दिव्या की पढाई में भी मदद करती है | जब दिव्या की बहन मोबाइल का इस्तेमाल कर रही होती है और उस दौरान अगर दिव्या के स्कूल से कोई मेसेज आता है तो वो दिव्या को बता देती है | अभी तक दिव्या को समय की कोई समस्या नहीं हुई है क्योंकि उन्हें मोबाइल 12 बजे के बाद मिलता है और मस्ती की पाठशाला का सत्र 3 बजे से होता है | उनकी बड़ी बहन उन्हें ज़ूम के लिंक से जुड़ने  में मदद करती है |

इस दौरान जब हम ने दिव्या से यह पूछा कि इन सत्रों में आप ने क्या क्या सीखा ? तो दिव्या ने हमें यह बताया, ‘’मैंने इन सत्रो में बहुत चीजें सीखी और बहुत बातों का भी पता चला।भारत की पहली अध्यापिका के बारे में। और मुझे क्या बनना है, मेरा रोल मॉडल कौन है ।और बहुत सी बातों को सीखा है।’’ दिव्या से बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि इन सत्रो में  दिव्या को अच्छा महसूस होता है। पर उनके स्कूल के टीचर्स या दोस्त या स्कूल में से कोई भी बच्चा इन सत्रो मैं नहीं जुड़ता है और उनके क्लास की लड़कियां उनके गांव की ही है ।उन्हों ने यह बताया के उन्हों ने एक दो लडकियों को अपने साथ बुलाया भी है पर वह लडकिया उनके घर नहीं आती है। इन सत्रों में 5 कस्तूरबा से लडकिया जुडती है | कई लडकिया पहली बार एक- दूसरे से मिली है तो उनमे दोस्ती भी होती है | दिव्या ने यह बताया कि सत्र के दौरान एक दूसरे को जानने का मौका मिला हैं ।

जब दिव्या से यह पूछा कि आप को कौन सा सत्र सब से अच्छा लगा और क्यों तो उन्होंने बताया कि ‘’मुझे सबसे अच्छा सत्र क्विज वाला करियर से जुडा सत्र लगा| इस सत्र में उसे अहसास हुआ कि वह क्या बनना चाहती है। हमने अलग अलग नौकरियो के बारे में जाना और  उसके लिए क्या क्या पढ़ना पड़ेगा, यह भी जाना । मुझे डांसर या पेंटर  बनना है । 

दिव्या ने बातचीत के दौरान साझा किया,‘’आने वाले समय में इस तरह के और भी सत्र हो जहा थोड़ा पढ़ाई थोड़ी मस्ती सब हो|मस्ती की पाठशाला का सत्र फोन पर ही होता रहे और साथ में स्कूल की क्लास भी लगती रहे |’’

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